*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈 🔷आश्विन, शुक्ल पक्ष, शारदीय नवरात्रि विक्रम सम्वत 2082, 28 सितम्बर 2025 रविवार नवरात्र सप्ताह🌙 *🙏
*🎈दिनांक -28 सितम्बर 2025*
*🎈 दिन - रविवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - आश्विन*
*🎈 पक्ष - शुक्ल पक्ष*
*🎈तिथि- षष्ठी 14:26:32 रात्रि
तक तत्पश्चात् षष्ठी*
*🎈 नक्षत्र - ज्येष्ठा 27:53:52* am तक तत्पश्चात् मूल*
*🎈 योग - आयुष्मान 24:30:54* रात्रि तक तत्पश्चात् सौभाग्य*
*🎈करण -तैतुल 14:26:32 Pm तक तत्पश्चात् वणिज*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग है- सुबह 04:54pm से दोपहर 06:23pm तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि- वृश्चिक- till 27:53:52*
*🎈चन्द्र राशि - धनु from 27:53:52*
*🎈सूर्य राशि- कन्या *
*🎈 सूर्योदय - 06:27:21*
*🎈 सूर्यास्त - 06:23:26* (सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🎈 ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:50 से प्रातः 05:38 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 अभिजित मुहूर्त- 12:00 पी एम से 12:49 पी एम (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 12:02 ए एम, सितम्बर 29 से 12:50 ए एम, सितम्बर 29तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈सर्वार्थ सिद्धि योग- 03:55 ए एम, सितम्बर 29 से 06:27 ए एम, सितम्बर 29*
*🎈 व्रत पर्व विवरण - षष्ठी -
नवरात्र का व्रत*
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
सूर्योदय के अनुसार।
*🎈 उद्वेग - अशुभ-06:26 ए एम से 07:56 ए एम*
*🎈चर - सामान्य-07:56 ए एम से 09:26 ए एम*
*🎈लाभ - उन्नति-09:26 ए एम से 10:56 ए एम*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-10:56 ए एम से 12:25 पी एम वार वेला*
*🎈काल - हानि-2:25 पी एम से 01:55 पी एम काल वेला*
*🎈शुभ - उत्तम-01:55 पी एम से 03:25 पी एम*
*🎈रोग - अमंगल-03:25 पी एम से 04:55 पी एम*
*🎈उद्वेग - अशुभ-04:55 पी एम से 06:25 पी एम*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈शुभ - उत्तम-06:25 पी एम से 07:55 पी एम*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-07:55 पी एम से 09:25 पी एम*
*🎈चर - सामान्य-09:25 पी एम से 10:55 पी एम*
*🎈रोग - अमंगल-10:55 पी एम से 12:26 ए एम, सितम्बर 29*
*🎈काल - हानि-12:26 ए एम से 01:56 ए एम, सितम्बर 29*
*🎈लाभ - उन्नति-01:56 ए एम से 03:26 ए एम, सितम्बर 29 काल रात्रि*
*🎈उद्वेग - अशुभ-03:26 ए एम से 04:56 ए एम, सितम्बर 29*
*🎈शुभ - उत्तम-04:56 ए एम से 06:27 ए एम, सितम्बर 29*
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🌷 आश्विन नवरात्रि शुक्ल षष्ठी तिथि 🌷🌷
28 सितम्बर रविवार 2025
मां कात्यायनी पूजा छटवां दिवस
🍁🍁🍁 कात्यायनी देवी की कथा
🍁🍁 मां कात्यायनी पूजा एवं भोग प्रसाद
🍁🍁 मां कात्यायनी ध्यान कवच एवं मंत्र
🍁🍁कात्यायनी देवी के 108 नाम
🍁🍁माँ कात्यायनी स्तोत्र 🍁🍁🍁🍁
🍁🍁 मां कात्यायनी की चालीसा 🍁🍁
🍁🍁 मां कात्यायनी की आरती 🍁🍁
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🌷🌷🌷कात्यायनी देवी की कथा 🌷🌷
नवरात्रि का छठा दिन कात्यायनी देवी को समर्पित है
महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारन इनका नाम कात्यायनी पड़ा ।
मां दुर्गा अपने छठे स्वरूप में कात्यायनी के नाम से जानी जाती है। महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री के रूप में उत्पन्न हुई आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर शुक्ल सप्तमी, अष्टमी तथा नवमी तक तीन दिन उन्होंने कात्यायन ऋषि की पूजा ग्रहण कर दशमी को महिषासुर का वध किया था। इनका स्वरूप अत्यंत ही भव्य एवं दिव्य है। इनका वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला, और भास्वर है। इनकी चार भुजाएं हैं। माता जी का दाहिनी तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रामें है तथा नीचे वाला वरमुद्रामें, बाई तरफ के ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है। इनका वाहन सिंह है ।
रावण की कठोर तपस्या और प्रार्थना करने पर, लंका को चारो ओर से घेर कर अभेद्य किला बना दिया था माँ ने, पर रावण द्वारा माँ सीता के अपमान से नाराज होकर लंका छोड़ कर चली गयी थी माँ |
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🌷🌷माँ कात्यायनी महिमा🌷🌷
कात्यायनी देवी वृन्दावन और ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी, है। उनकी चार भुजाओं और त्रिनेत्र हैं, वह शेर पर निवास करती हैं। वह माँ दुर्गा के छठा स्वरूप हैं और माता कात्यायनी के नाम से जानी जाती हैं। "कैट" का पुत्र "कात्या" था। इसी "कात्य" वंश में ऋषि कात्यायन का जन्म हुआ। कात्यायन ने मां को बेटी के रूप में पाने की इच्छा से तपस्या की थी। परिणामस्वरूप उन्होंने कात्यायन की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इसलिए उनका नाम "कात्यायनी" है। उन्होंने राक्षस महिषासुर का वध किया।
देवी कात्यायनी वैष्णवी शक्ति हैं भगवती लक्ष्मी की
अभिव्यक्ति स्वरूप है । महालक्ष्मी का शक्ति रूप समाहित किए हैं। इन्होंने स्वयं कात्यायनी के रूप में भगवान कृष्ण को अपने पति के रूप में पाने के लिए तपस्या की फिर गोपियाँ ने व्रज में माँ कात्र्यायनी की पूजा की श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए
इसलिए वह व्रज की रानी के रूप में स्थापित हैं।
देवर्षि श्री वेदव्यास जी ने श्रीमद् भागवत के दशम स्कंध के बाईसवें अध्याय में उल्लेख है कि गोपियां देवी से प्रार्थना करती हैं -हे कात्यायनि! हे महामाये! हे महायोगिनि! हे अधीश्वरि! हे देवि! नन्द गोप के पुत्र को हमारा पति बनाओ हम आपका अर्चन एवं वन्दन करते हैं।
दुर्गा सप्तशती में देवी के अवतरित होने का उल्लेख इस प्रकार मिलता है-।नन्दगोपगृहे जाता यशोदागर्भसम्भवा,- अर्थात मैं नन्द गोप के घर में यशोदा के गर्भ से अवतार लूंगी।
श्रीमद भागवत में भगवती कात्यायनी के पूजन द्वारा भगवान श्री कृष्ण को प्राप्त करने के साधन का सुन्दर वर्णन प्राप्त होता है। यह व्रत पूरे मार्गशीर्ष (अगहन) के मास में होता है। भगवान श्री कृष्ण को पाने की लालसा में ब्रजांगनाओं ने अपने हृदय की लालसा पूर्ण करने हेतु यमुना नदी के किनारे से घिरे हुए राधाबाग़ नामक स्थान पर श्री कात्यायनी देवी का पूजन किया।
भगवान श्री कृष्ण की क्रीड़ा भूमि श्रीधाम वृन्दावन में भगवती देवी के केश गिरे थे, इसका प्रमाण प्राय: सभी शास्त्रों में मिलता ही है। ब्रह्म वैवर्त पुराण एवं आद्या स्तोत्र आदि कई स्थानों पर उल्लेख है- व्रजे कात्यायनी परा अर्थात वृन्दावन स्थित पीठ में ब्रह्मशक्ति महामाया श्री माता कात्यायनी के नाम से प्रसिद्ध है। वृन्दावन स्थित श्री कात्यायनी पीठ भारतवर्ष के उन अज्ञात 108 एवं ज्ञात 51 शक्ति पीठ में से एक अत्यन्त प्राचीन सिद्धपीठ है।
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🌹माता कात्यायनी की पूजा और भोग प्रसाद 🌹
मां दुर्गा की छठी विभूति हैं मां कात्यायनी। शास्त्रों के मुताबिक जो भक्त दुर्गा मां की छठी विभूति कात्यायनी की आराधना करते हैं मां की कृपा उन पर सदैव बनी रहती है। कात्यायनी माता का व्रत और उनकी पूजा करने से कुंवारी कन्याओं के विवाह में आने वाली बाधा दूर होती है।
मां कात्यायनी की साधना का समय गोधूली काल है। इस समय में धूप, दीप, गुग्गुल से मां की पूजा करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं। जो भक्त माता को 5 तरह की मिठाइयों का भोग लगाकर कुंवारी कन्याओं में प्रसाद बांटते हैं माता उनकी आय में आने वाली बाधा को दूर करती हैं और व्यक्ति अपनी मेहनत और योग्यता के अनुसार धन अर्जित करने में सफल होता है।
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🌷🌷माँ कात्यायनी ध्यान 🌹🍀🌹
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥
वन्दे वांछित मनोरथार्थचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
सिंहारूढचतुर्भुजाकात्यायनी यशस्वनीम्॥
स्वर्णवर्णाआज्ञाचक्रस्थितांषष्ठम्दुर्गा त्रिनेत्राम।
वराभीतंकरांषगपदधरांकात्यायनसुतांभजामि॥
पटाम्बरपरिधानांस्मेरमुखींनानालंकारभूषिताम्।
मंजीर हार केयुरकिंकिणिरत्नकुण्डलमण्डिताम्।।
प्रसन्नवंदनापज्जवाधरांकातंकपोलातुगकुचाम्।
कमनीयांलावण्यांत्रिवलीविभूषितनिम्न नाभिम्॥
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🍁🍁🍁माँ कात्यायनी कवच – 🍁🍁🍁
कात्यायनौमुख पातुकां कां स्वाहास्वरूपणी।
ललाटेविजया पातुपातुमालिनी नित्य संदरी॥
कल्याणी हृदयंपातुजया भगमालिनी॥
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🌹कात्यायनी पूजा एवं मंत्र 🌹
. मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और तेजस्वी है जिनकी चार भुजाएं हैं. माता का दाहिनी तरफ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला वरमुद्रा में है. वहीं बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है. मां कात्यायनी की साधना से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है.
देवी का प्रसाद- कात्यायनी की साधना एवं भक्ति करने वालों को मां की प्रसन्नता के लिए शहद युक्त पान अर्पित करना चाहिए। या फिर शहद का अलग से भोग भी लगा सकते हैं।
मां शक्ति के नवदुर्गा स्वरूपों में मां कात्यायनी देवी को छठा रूप माना गया है। मां कात्यायनी देवी के आशीर्वाद से विवाह के योग बनते हैं साथ ही वैवाहिक जीवन में भी खुशियां प्राप्त होती हैं।
गोधूली वेला के समय पीले अथवा लाल वस्त्र धारण करके इनकी पूजा करनी चाहिए।
इनको पीले फूल और पीला नैवेद्य अर्पित करें। इन्हें शहद अर्पित करना विशेष शुभ होता है।
मां को सुगंधित पुष्प अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनेंगे साथ ही प्रेम संबंधी बाधाएं भी दूर होंगी।
इसके बाद मां के समक्ष उनके मंत्रों का जाप करें।
👉शीघ्र विवाह के लिए करें मां कात्यायनी की पूजा
गोधूलि वेला में पीले वस्त्र धारण करें।
मां के समक्ष दीपक जलाएं और उन्हें पीले फूल अर्पित करें।
इसके बाद 3 गांठ हल्दी की भी चढ़ाएं।
मां कात्यायनी के निम्न मंत्र का जाप करें।
"कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।"
हल्दी की गांठों को अपने पास सुरक्षित रख लें।
मां कात्यायनी को शहद अर्पित करें।
अगर ये शहद चांदी के या मिटटी के पात्र में अर्पित किया जाए तो ज्यादा उत्तम होगा।
इससे आपका प्रभाव बढ़ेगा और आकर्षण क्षमता में वृद्धि होगी।
जपें यह मंत्र-
माता कात्यायनी का चित्र या यंत्र सामने रखकर रक्तपुष्प से पूजन करें। यदि चित्र में यंत्र उपलब्ध न हो तो देवी माता दुर्गाजी का चित्र रखकर निम्न मंत्र की 51 माला नित्य जपें, मनोवांछित प्राप्ति होगी। साथ ही ऐश्वर्य प्राप्ति होगी।
मंत्र - 'ॐ ह्रीं नम:।।'
चन्द्रहासोज्जवलकराशार्दुलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।
मंत्र - ॐ ह्रीं कात्यायन्यै नमः॥
अन्य मंत्र
कात्यायनी गायत्री
ॐ कात्यायन्यै च विदमहे सिद्बिशक्तये च धीमहि तन्नो कात्यायनी प्रचोदयात्।
मंत्र
1.ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ॐकात्यायन्यै नमः
2.ॐ क्रीं कात्यायन्यै क्रीं नमः.
ॐ कात्यायन्यै नमः।
४ .🍁🍁🍁.कात्यायनी महामाला मंत्र 🍁🍁🍁
ॐ कात्यायन्यै करुणायै पीतवर्णायै सिंहवाहिन्यै
कमलासनायै चतुर्भुजायै धनधान्यप्रदायिन्यै
सर्वसंपत्प्रदायिन्यै सर्वसिद्धिप्रदायिन्यै आरोग्यप्रदायिन्यै
ऐश्वर्यप्रदायिन्यै सर्वदुःखनिवारिण्यै सुखसंपत्प्रदायिन्यै भक्ताभीष्टफलप्रदायिन्यै।
त्रिनेत्रायै शंखधरायै चक्रधरायै गदाधरायै
कमलधरायै वरदाभयहस्तायै जगन्मङ्गलायै
सर्वज्ञानप्रदायिन्यै सर्वविजयप्रदायिन्यै धनधान्यप्रदायिन्यै
पुत्रप्रदायिन्यै मोक्षप्रदायिन्यै चतुर्वर्गफलप्रदायिन्यै।
ब्रह्मविद्यायै पराशक्त्यै महाशक्त्यै योगमायायै महामायायै
भवान्यै दुर्गायै चण्डिकायै महालक्ष्म्यै महासरस्वत्यै महाकाल्यै
त्रैलोक्यधात्र्यै त्रैलोक्यपालिन्यै त्रैलोक्यपूजितायै
सौम्यरूपिण्यै उग्ररूपिण्यै महातेजस्विन्यै।
सर्वरक्षाकार्यै सर्वकामफलप्रदायिन्यै जयदायिन्यै विजयप्रदायिन्यै
सर्वपापहरायै सर्वशोकनिवारिण्यै भयापहायै रोगनिवारिण्यै
करुणामय्यै दयारूपिण्यै भक्तवत्सलायै अनन्तायै अक्षय्यायै
अनाद्यायै अद्भुतायै सिद्धिदायै वरप्रदायिन्यै।
कुमारपालिन्यै कुमारधात्र्यै कुमारेश्वर्यै स्कन्दपालिन्यै
कुमारसम्बलायै कुमारेश्वरपूजितायै स्कन्दसहितायै कुमारवल्लभायै
स्कन्देश्वर्यै कुमारेश्वर्यै विश्वनायिकायै परमानन्दस्वरूपिण्यै
कात्यायन्यै नमो नमः।
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🌷🌷🌷माँ कात्यायनी स्तोत्र ||🌷🌷🌷
🍁॥ ध्यान स्तुति ॥
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढ चतुर्भुजाकात्यायनी यशस्वनीम् ॥
अर्थ - मैं मनोवांछित लाभ प्राप्त करने के लिए, सभी तरह के मनोरथों को पूरा करने वाली, मस्तक पर अर्ध चंद्र को धारण करने वाली, सिंह की सवारी करने वाली, चार भुजाओं वाली और यश प्रदान करने वाली माँ कात्यायनी, की वंदना करता हूँ।
🍁
स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्रस्थितां षष्ठम्दुर्गा त्रिनेत्राम।
वराभीतंकरां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि ॥
अर्थ - कात्यायनी माता के शरीर का रंग स्वर्ण धातु जैसा चमकदार है। वे हमारे आज्ञा चक्र में स्थित होती हैं और उसे मजबूत करने का कार्य करती हैं। वे माँ दुर्गा का छठा रूप हैं जिनके तीन नेत्र हैं। उनके हाथ भक्तों को वरदान व अभय देने की मुद्रा में हैं। यह धरती उनके पैरों में है। हम सभी भक्तगण कात्यायनी माँ का ही ध्यान करते हैं।
🍁
पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखीं नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर हार केयूर किंकिणि रत्नकुण्डल मण्डिताम् ॥
अर्थ- कात्यायनी मां पीले रंग के वस्त्र धारण करती है। उनके मुख पर नेह के भाव हैं और उन्होंने नाना प्रकार के आभूषणों से अपना अलंकर किया हुआ है। उन्होंने अपने शरीर पर मंजीर, हार, केयूर, किंकिणी व रत्नों से जड़ित कुंडल धारण किये हुए हैं।
🍁
प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्। कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम् ॥
अर्थ- मैं प्रसन्न मन के साथ कात्यायनी माँ की आराधना करता हूँ। उनका स्वरुप बहुत ही सुंदर, कमनीय, रमणीय व वैभव युक्त है। तीनों लोकों में उनकी पूजा की जाती है।
🍁
प्रसन्नवद्ना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्। कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम् ॥
अर्थ- मैं प्रसन्न मन के साथ कात्यायनी माँ की आराधना करता हूँ। उनका स्वरुप बहुत ही सुंदर, कमनीय, रमणीय व वैभव युक्त है। तीनों लोकों में उनकी पूजा की जाती है।
॥ अथ स्तोत्र ॥
🍁
कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।
स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते ॥
अर्थ - कात्यायनी देवी की आभा से हम सभी को अभय मिलता है और हमारे भय दूर हो जाते हैं। उन्होंने अपने हाथ में कमल पुष्प ले रखा है और मस्तक पर मुकुट पहन रखा है जिसमें से प्रकाश निकल रहा है। उनका मुख आनंद देने वाला है और वे भगवान शिव की पत्नी हैं। मैं कात्यायनी माता का पुत्र, उन्हें नमस्कार करता हूँ।
🍁
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
अर्थ- मां कात्यायनी ने पीले रंग के परिधान पहन रखे हैं और तरह-तरह के आभूषणों से अपना श्रृंगार किया हुआ है। वे सिंह की सवारी करती हैं और उनके हाथों में कमल का फूल है। मैं कात्यायनीमाता का सेवक, उन्हें प्रणाम करता हूँ।
🍁
परमानंदमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते ॥
अर्थ - देवी कात्यायनी हमें आनंद प्रदान करती हैं और वे ही परम सत्य व परम ब्रह्म का रूप हैं। कात्यायनी देवी ही सर्वशक्तिशाली व परमभक्ति का रूप हैं। मैं कात्यायनी माँ का भक्त उन्हें नमन करता हूँ।
🍁
विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्वाचिन्ता, विश्वातीता कात्यायनसुते नमोऽस्तुते ॥
अर्थ- माता कात्यायनी इस विश्व को चलाती हैं, हमें जीवन देती हैं, हमारा जीवन लेती भी हैं और इस विश्व में प्रेम का संचार करती हैं। वे ही इस विश्व के प्राणियों की हर चिंता हर लेती हैं और वे ही हमारा भूतकाल हैं। मैं कात्यायनी का सेवक, उन्हें बारंबार प्रणाम करता हूँ।
🍁
कां बीजा, कां जपानन्दकां बीज जप तोषिते ।
कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता ॥
अर्थ - कात्यायनी माता इस सृष्टि का बीज मंत्र हैं और वे ही इस सृष्टि की आधार देवी हैं। जो भी कात्यायनी माता के बीज मंत्र का जाप करता है, उसे परम आनंद की प्राप्ति होती है। कात्यायनी माता ही हमारा भरण-पोषण करती हैं। हम सभी कात्यायनी देवी की ही संतान हैं।
🍁
कांकारहर्षिणीकां धनदाधनमासना।
कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा ॥
अर्थ - कात्यायनी माँ के ध्यान से हमें हर्ष की अनुभूति होती है। वे ही हमें धन व सुख प्रदान करती हैं। जो भी सच्चे मन के साथ कात्यायनी देवी के बीज मंत्र का जाप करता है, उसकी तपस्या सफल हो जाती है और वह मोक्ष को प्राप्त करता है।
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कां कारिणी कां मन्त्रपूजिताकां बीज धारिणी।
कां कीं कूकै कः ठः छः स्वाहारूपिणी ॥
कां कारिणी कां मंत्र पूजिता कां बीज धारिणी
कां कीं कूं कैं क: ठ: छ: स्वाहा रूपिणी को नमस्कार है।
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🌷🌷श्री कात्यायनी अष्टोत्तरशतनामावलिः🌷🌷
(कात्यायनी देवी के 108 नाम)
ॐ कात्यायन्यै नमः
ॐ महाशक्त्यै नमः
ॐ ब्रह्मचारिण्यै नमः
ॐ चण्डिकायै नमः
ॐ महिषासुरमर्दिन्यै नमः
ॐ त्रिनेत्रायै नमः
ॐ सिंहवाहिन्यै नमः
ॐ रक्तवस्त्रधारिण्यै नमः
ॐ चतुर्भुजायै नमः
ॐ खड्गखेटकधारिण्यै नमः ॥१०॥
ॐ महादुर्गायै नमः
ॐ शुम्भनिशुम्भविनाशिन्यै नमः
ॐ दानवप्रमथिन्यै नमः
ॐ रक्तदंष्ट्रायै नमः
ॐ चन्द्रमौलिन्यै नमः
ॐ कौमारीशक्त्यै नमः
ॐ ब्रह्मविद्यायै नमः
ॐ योगिन्यै नमः
ॐ सुरेश्वर्यै नमः
ॐ आदिशक्त्यै नमः ॥२०॥
ॐ जगद्धात्र्यै नमः
ॐ कामरूपिण्यै नमः
ॐ कामदायिन्यै नमः
ॐ सिद्धेश्वर्यै नमः
ॐ भैरवप्रिया नमः
ॐ त्रैलोक्यजनन्यै नमः
ॐ वज्रधारिण्यै नमः
ॐ भीषणायै नमः
ॐ शान्तस्वभावायै नमः
ॐ महालक्ष्म्यै नमः ॥३०॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः
ॐ महाकाल्यै नमः
ॐ सर्वदेवपूजितायै नमः
ॐ मृडप्रियायै नमः
ॐ कल्याण्यै नमः
ॐ भवानीशक्त्यै नमः
ॐ पार्वत्यै नमः
ॐ गौरीरूपायै नमः
ॐ शर्वप्राणवल्लभायै नमः
ॐ उग्रचेष्टायै नमः ॥४०॥
ॐ स्थाणुपत्न्यै नमः
ॐ भद्रकाल्यै नमः
ॐ जगदम्बायै नमः
ॐ विश्वरूपिण्यै नमः
ॐ त्रैलोक्यमङ्गलायै नमः
ॐ महामायायै नमः
ॐ नारायणप्रियायै नमः
ॐ सर्वदोषहरायै नमः
ॐ पापविनाशिन्यै नमः
ॐ कृपामय्यै नमः ॥५०॥
ॐ वरदायै नमः
ॐ अभयप्रदायै नमः
ॐ भक्तवत्सलायै नमः
ॐ तपस्विन्यै नमः
ॐ ध्यानगम्यायै नमः
ॐ चिदानन्दरूपायै नमः
ॐ दुर्गाप्रियायै नमः
ॐ कालरात्र्यै नमः
ॐ महाशक्त्यै नमः
ॐ विजयायै नमः ॥६०॥
ॐ सिद्धिदायिन्यै नमः
ॐ भुक्तिमुक्तिप्रदायै नमः
ॐ वेदगम्यायै नमः
ॐ वेदमातृकायै नमः
ॐ योगमायायै नमः
ॐ नारायण्यै नमः
ॐ महेश्वर्यै नमः
ॐ सर्वलोकनमस्कृतायै नमः
ॐ त्रिपुरसुन्दर्यै नमः
ॐ भगवत्यै नमः ॥७०॥
ॐ आराध्यायै नमः
ॐ तपस्विन्यै नमः
ॐ शिवकामिन्यै नमः
ॐ उमायै नमः
ॐ हेमवत्यै नमः
ॐ कौशल्यायै नमः
ॐ हरप्रियां नमः
ॐ भुवनेश्वर्यै नमः
ॐ सर्वतीर्थस्वरूपिण्यै नमः
ॐ पुण्यदायै नमः ॥८०॥
ॐ सिद्धयोगिन्यै नमः
ॐ महामेध्यायै नमः
ॐ शरण्यायै नमः
ॐ शरणागतवत्सलायै नमः
ॐ आद्यायै नमः
ॐ अनन्तायै नमः
ॐ विश्वजनन्यै नमः
ॐ त्रिनेत्रधारिण्यै नमः
ॐ सिंहवाहिन्यै नमः
ॐ दुर्गायै नमः ॥९०॥
ॐ महेश्वर्यै नमः
ॐ वैष्णव्यै नमः
ॐ ब्राह्म्यै नमः
ॐ वाराह्यै नमः
ॐ इन्द्राण्यै नमः
ॐ चामुण्डायै नमः
ॐ कालीकायै नमः
ॐ कालरात्र्यै नमः
ॐ त्रिलोचनायै नमः
ॐ सर्वेश्वर्यै नमः ॥१००॥
ॐ ऋद्धिदायिन्यै नमः
ॐ सिद्धिदायिन्यै नमः
ॐ धर्मसंस्थापनायै नमः
ॐ पावन्यै नमः
ॐ सर्वदेवनमस्कृतायै नमः
ॐ अष्टसिद्धिप्रदायै नमः
ॐ सर्वसंपत्प्रदायै नमः
ॐ ऋद्धिसिद्धिप्रदायै नमः
ॐ मंगलायै नमः
ॐ कात्यायन्यै नमः ॥१०८॥
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🌷श्री कात्यायनी माता चालीसा 🌷🌷
१.
सिंह पर सवारी माता, त्रिनेत्र तेजस्विनी।
त्रिशूल, कमल और खड्ग धारण, भक्तों की रक्षकनी।
सर्वसंकट हरिणी माता, सुख-समृद्धि दायिनी।
कात्यायनी जगदम्बा, जग में आद्य महा-नायिनी।
२.
सर्वलोक सुखदायिनी, दुष्टों को कर नाश।
भक्तों के जीवन में लाओ, मंगल और आशीर्वाद।
सर्वसिद्धि देने वाली, करुणा रूपा माता।
त्रैलोक्य में जयध्वनि गूँजे, माता सभी को भाती।
३.
सौभाग्य, पुत्र सुख देने वाली, आरोग्य और ऐश्वर्य।
सर्वकामों की पूर्ति करें, संकट मिटाए संपूर्ण।
सर्वलोक में प्रमुख माता, जगदम्बा अनंत।
कात्यायनी माता की महिमा, जग में अपरंपार।
४.
सिंहवाहिनी, उग्र रूपा, भक्तवत्सल माता।
सर्वविजय, सर्वसिद्धि दायिनी, संकट दूर करती।
भूत-प्रेत, रोग और पाप, सब नष्ट कर देती।
कात्यायनी जग में प्रमुख, भक्तों की सहारा माता।
५.
योग, ज्ञान और शक्ति दाता, माता करुणामयी।
सर्वलोक सुखदायिनी, संकट सब दूर भगाती।
सर्वत्र जयध्वनि गूँजे, माता सभी की रक्षा।
त्रैलोक्य में आद्य माता, जगदम्बा अनंत।
६.
सर्वसंपत्ति, ऐश्वर्य और मोक्ष की दाता।
सर्वकामों की पूर्ति करती, सुख और सौभाग्य लाती।
सर्वत्र मंगलकारी माता, संकट निवारिणी।
कात्यायनी माता की महिमा, जग में अपार।
७.
सिंह पर सवारी माता, कमल और त्रिशूल लिए।
सर्वसिद्धि और ऐश्वर्य दायिनी, संकट दूर कर दे।
भक्तों की रक्षा करती, सुख-समृद्धि प्रदान करे।
त्रैलोक्य में प्रमुख माता, जगदम्बा अनंत।
८.
सर्वज्ञान, स्मृति और बुद्धि दाता, योगिनियों की आराध्या।
सर्वकाम, मोक्ष और ऐश्वर्य देने वाली, जग में प्रमुख।
सर्वदुष्टों का नाश करती, भक्तों की रक्षा करे।
कात्यायनी माता की महिमा, जग में अपरंपार।
९.
सिंहवाहिनी, सौम्य और उग्र रूपा माता।
सर्वकाम, मोक्ष और ऐश्वर्य देने वाली, भक्तवत्सल।
सर्वत्र जयध्वनि गूँजे, माता सुख दें सभी को।
कात्यायनी माता जग में, करुणा की धारा।
१०.
सर्वलोक सुखदायिनी, सर्वमंगलकारी माता।
सर्वसंपत्ति, ऐश्वर्य, सौभाग्य की दाता।
सर्वविजय, मोक्ष और ज्ञान, माता सबको दे।
त्रैलोक्य में प्रमुख माता, जगदम्बा अनंत।
११.
कात्यायन ऋषि के घर अवतरित हुईं भवानी।
दुष्टों के संहार हेतु, प्रकट हुईं जगजानी।
१२.
महिषासुर का संहार कर, कीर्ति जग में पाई।
त्रैलोक्य में गुंजित जय, माँ की महिमा गाई।
१३.
चार भुजाओं वाली माता, रूप निराला धारी।
वरमुद्रा व अभय कर में, भक्तों की रखवाली।
१४.
कमल आसन पर विराजीं, सिंह पर करें सवारी।
उग्र रूप और सौम्य स्वरूप, अद्भुत महिमा भारी।
१५.
देव-ऋषि सब विनती करते, माता चरणों में।
सिद्धि, बुद्धि और मोक्ष मिलें, माता वंदन में।
१६.
कात्यायनी के ध्यान से, मन को शांति मिलती।
भक्त के हर संकट भारी, पल में दूर होती।
१७.
कन्या रूप की साधना, सर्व मनोरथ पूरी।
कात्यायनी की कृपा से, जीवन होता दूरी।
१८.
नववर्ष या नवरात्र में, पूजन जो करे।
भक्त वही जग में सदा, संकट से उरे।
१९.
माँ का स्मरण हृदय से, जग में सुख लाता।
भय, शोक और रोग हर, भक्त को सुख देता।
२०.
जय जय जय कात्यायनी, त्रैलोक्य पालनहार।
भक्तों के जीवन में लाओ, सुख-समृद्धि अपार॥२०॥
२१.
सिद्धिदात्री का स्वरूप, तुममें ही समाया।
सकल शक्तियाँ त्रैलोक्य की, तुमने ही पाया।
२२.
रज, तम और सत गुणों से, करतीं सृष्टि विस्तार।
अधिकारिणी जग की माता, तुम ही पालनहार।
२३.
व्रत-उपवास और साधना, सफल बनाओ माता।
कठिन तपस्या का फल देकर, जीवन बनाओ पावन।
२४.
महिषासुर और राक्षस सब, तुझसे भय खाते।
तेरे ही एक नाम से, देवता सुख पाते।
२५.
भूत, प्रेत और बाधाएँ, समीप न आ पातीं।
कात्यायनी कृपा से सब, विपदाएँ टल जातीं॥२५॥
२६.
घर-घर में माँ का वास, सुख-समृद्धि लाता।
सद्गति और सद्भावना से, जीवन धन्य बनाता।
२७.
सदाचार और भक्ति भाव, जो मन में लाता।
कात्यायनी माँ कृपा से, वह भवपार जाता।
२८.
कन्या पूजन का महत्व, जग में गाया जाता।
माँ के स्वरूप को पूज, सुख-समृद्धि आता।
२९.
चारों धाम और सप्तपुर, तेरा ही गुण गाते।
कात्यायनी माँ के चरणों में, भक्त शीश नवाते।
३०.
जय कात्यायनी माँ जय, जगदम्बा भवानी।
भक्तों की रक्षा करतीं, त्रैलोक्य कल्याणी॥३०॥
३१.
ज्ञान, वैराग्य और शक्ति, भक्त को प्रदान करें।
अज्ञान तम हर कर माता, मोक्ष का द्वार खोलें।
३२.
श्रद्धा-भक्ति जो सच्ची, मन में जो भर लाए।
माँ के चरणों की भक्ति से, भवसागर तर जाए।
३३.
यज्ञ, हवन और साधना, माँ को अति प्यारी।
दुग्ध, पुष्प और दीप से, पूजा होती सारी।
३४.
साधु, संत और महात्मा, गाते माँ की गाथा।
सुख-शांति सबको देकर, मिटाती सबकी व्यथा।
३५.
धन-धान्य और वैभव से, करती घर को भरा।
भक्तों की झोली माँ ने, कभी न खाली धरा।
३६.
कात्यायनी माँ के नाम, जग में गूँजे गान।
भक्तों का कष्ट मिटाकर, दो सुख अपारदान।
३७.
रोग-शोक और संकट सब, माता दूर कर देती।
भक्ति-भाव से जो पूजे, कृपा अमृत देती।
३८.
सिद्धि, ऋद्धि और सौभाग्य, माँ वरदान देती।
भक्त के जीवन में हरदम, खुशियों की बरसाती।
३९.
जय जय जय कात्यायनी, जय अंबे जगदम्बा।
भक्तों के जीवन में लाओ, मंगल और समृद्धा।
४०.
सदा कृपा बरसाओ माता, भक्त सदा गुनगाएँ।
कात्यायनी माता चालीसा, जीवन सफल बनाए॥४०॥
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🌷🌷🌷 मां कात्यायनी आरती 🌷🌷🌷
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जग माता, जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।
🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
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*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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